Skip to main content

सिर्फ 6 महीने में 600 करोड़ की कंपनी: Ekkaa Electronics के शून्य से शिखर तक पहुंचने का सफर

 

Sagar Gupta

 Ekkaa Electronics की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कंपनी की शुरुआत सागर गुप्ता ने 2018 में की थी, और वर्तमान में इसका वार्षिक टर्नओवर 600 करोड़ रुपये से अधिक है। कंपनी में 1,000 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं। एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स का दावा है कि 24 इंच से 40 इंच तक की एलईडी टीवी असेंबल करने के मामले में यह देश की सबसे बड़ी कंपनी है।

कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद, जहां अधिकतर युवा नौकरी की तलाश में लग जाते हैं, वहीं एक युवा ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर करोड़ों रुपये की कंपनी खड़ी कर दी। देश में ऐसे कई युवा उद्यमी हैं, जिन्होंने कम समय में अपने बिजनेस और कमाई से लोगों को चकित कर दिया है। इसी सूची में नोएडा के सागर गुप्ता का नाम भी शामिल है। इस युवा उद्यमी ने अपने पिता के साथ मिलकर मात्र 4 वर्षों में करोड़ों रुपये का बिजनेस साम्राज्य खड़ा किया। बीकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद सागर ने मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस में कदम रखा। उन्होंने 2017 में अपने पिता के साथ मिलकर "एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स" की स्थापना की। सिर्फ 4 वर्षों में सागर गुप्ता ने इस कंपनी का कारोबार ₹600 करोड़ तक पहुंचा दिया। आइए जानते हैं, सागर ने इतनी बड़ी सफलता कैसे हासिल की।

 यह उल्लेखनीय है कि Ekkaa Electronics के सागर गुप्ता के पास न तो बिजनेस का कोई पूर्व अनुभव था और न ही वह किसी कारोबारी घराने से जुड़े थे। इसके बावजूद, सागर ने अपनी मेहनत, प्रोडक्ट पर भरोसे और अपने पिता के सहयोग से एक मजबूत कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया। उनकी कंपनी, एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स, ने अगले तीन वर्षों में नोएडा में एक नई फैसिलिटी स्थापित करने के लिए ₹1000 करोड़ का निवेश करने का निर्णय लिया है। इस नए प्लांट में वॉशिंग मशीन, स्मार्ट वॉच, एयर फोन, हेडफोन और ट्रू वायरलेस स्टीरियो जैसे प्रोडक्ट्स का निर्माण किया जाएगा।

बनना चाहते थे सीए

सागर के पिता की इच्छा थी कि उनका बेटा चार्टर्ड अकाउंटेंट बने। इसी उद्देश्य से सागर ने सीए की तैयारी के लिए कोचिंग शुरू की और साथ ही दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम की डिग्री हासिल की। हालांकि, पढ़ाई के दौरान सागर ने अपने जुनून और रुचि को पहचाना और साल 2017 में मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस में कदम रखने का निर्णय लिया। पढ़ाई पूरी करने के साथ ही सागर ने अपने पिता के सहयोग से एलईडी टेलीविजन की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट Ekkaa Electronics स्थापित करने का फैसला किया। 

Sagar gupta

सागर के पिता पिछले तीन दशकों से सेमीकंडक्टर की ट्रेडिंग का काम कर रहे थे। उनके इस लंबे अनुभव का सागर को बड़ा फायदा मिला और Ekkaa Electronics का एलईडी टेलीविजन का बिजनेस तेजी से बढ़ने लगा। सागर ने अपने पिता की मदद से एलईडी टीवी बेचने के लिए मजबूत संपर्क बनाए और धीरे-धीरे उनकी कंपनी सैमसंग, तोशिबा और सोनी जैसे बड़े ब्रांड्स के लिए एलईडी टीवी की मैन्युफैक्चरिंग करने लगी।

आज, सागर की कंपनी एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स 100 से अधिक कंपनियों को एलईडी टीवी की आपूर्ति करती है। कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी हरियाणा के सोनीपत में स्थित है, जहां से उच्च गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं। कंपनी का कारोबार दो देशों में फैला हुआ है। वर्तमान में यह एलसीडी टीवी, एलईडी टीवी और हाई-एंड टीवी का निर्माण करती है। इसके अलावा, कंपनी की योजना अब वाशिंग मशीन, स्पीकर और स्मार्ट वॉच जैसे नए प्रोडक्ट्स बनाने की है।

 

Comments

Popular posts from this blog

एक छोटे से कमरे से शुरु हुई वेबसाइट कैसे बन गई अरबों डॉलर की कंपनी, पढ़िए फ्लिपकार्ट के कामयाबी की कहानी ।

  फ्लिपकार्ट भारत की एक प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी है जिसपर हम ऑनलाइन कुछ भी खरीद सकते हैं वह भी घर बैठे ।  फ्लिपकार्ट आज के समय में देश की सबसे सफल कंपनियों में से एक है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कंपनी की शुरुआत एक कमरे के फ्लैट से हुई थी। जब कोई एक छोटे से कमरे से अपने बिजनेस की शुरुआत करता है तो वह शायद ही यह सोचता हो कि उसका बिजनेस इतने कम निवेश के बाद भी एक समय अरबों की कंपनी बन जाएगी। फ्लिपकार्ट का नाम भी कुछ उन्ही स्टार्टअप में से है जिनकी शुरुआत महज ही कुछ रुपयों से हुई थी लेकिन आज उस कंपनी का टर्नओवर अरबों में है।  तो आज हम Story behind the Success के माध्यम से आपको बताने जा रहें हैं कैसे सचिन और बिन्नी बसंल ने  फ्लिपकार्ट को नई बुलंदियों पर पहुंचाया। Flipkart के शुरुआत की कहानी Flipkart भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक है। Flipkart की शुरुआत 2007 में Sachin Bansal और Binny Bansal द्वारा बंगलोर में की गई थी। दोनों मित्र IIT दिल्ली के पूर्व छात्र थे और उन्हें इंजीनियरिंग में दिलचस्पी थी। Flipkart की शुरुआत एक ऑनलाइन पुस्तकालय के रूप में हुई थी...

जानिए कैसे दो दोस्तों ने एक छोटे से फूडलेट से Zomato को बना दिया फेमस फूड डिलीवरी ब्रांड ।

ऑनलाइन फूड आजकल फैशन बन चुका है हर कोई ऑनलाइन ऑर्डर कर शांति से घर बैठ कर खाना चाहता है क्योंकि इंसान होटल में जाकर इंतजार करने से अच्छा समझता है कि उसका खाना घर में मिल जाए। ऑनलाइन फूड डिलिवरी वेबसाइट जोमेटो इस समय हर किसी के जुबान पर है। क्या आप जानना चाहते हैं कि कैसे Zomato ने ऑनलाइन फूड डिलिवरी सिस्टम को इतना आसान बनाया जिससे कुछ ही मिनटों में लोग अपने घर में खाने की डिलिवरी रिसीव कर पाते हैं। जोमेटो कंपनी की शुरुआत कैसे हुई जोमेटो कंपनी की शुरुआत 2010 में की गई थी और इसे शुरु करने का श्रेय दीपेंदर गोयल को जाता है। ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमेटो आज 24 देशों के 10 हजार शहरों में लोगों को खाना डिलिवर कर रही है। यह दुनिया के सबसे बड़ी फूड डिलिवरी कंपनियों में से एक है। दीपेंदर पंजाब के एक मध्यमवर्गीय परिवार से तालुक रखते हैं उनका मन पढ़ाई में नही लगता था यही वजह थी की वह कक्षा 6वीं और 11वीं में फेल हो गए थे। हालांकि उन्हें ऐहसास हुआ की पढ़ाई से ही कुछ बना जा सकता है। इसीलिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और IIT में सलेक्ट हो गए । IIT से 2006 में पासआउट होने के बाद दीपेंदर ब्रेन ए...

इन्वर्टर मैन कुंवर सचदेवा: कैसे घर-घर पेन बेचने वाला लड़का बन गया इन्वर्टर मैन, पढ़िए रोचक किस्सा

  इन्वर्टर मैन कुंवर सचदेवा लगन और इच्छा शक्ति इंसान के पास ऐसे दो औजार हैं जिनके बल पर वह दुनिया की किसी भी चीज को पा सकता है। पूरे दृढ़ इच्छा और लगन के साथ कोई भी काम किया जाए तो सफल होने से कोई नही रोक सकता। इसके अलावा धैर्य इंसान को विपरीत परिस्थितियों में भी टिके रहने का साहस देता है। परिस्थितियां चाहे जैसी हो लगातार आगे बढ़ता रहना चाहिए। कुछ ऐसी ही कहानी है Su-Kam Inverter के जनक कुंवर सचदेवा की। जिन्होंने आर्थिक अभाव को कभी भी सफलता की राह में आड़े नही आने दिया। आज यह कंपनी दुनिया के करीब 70 से ज्यादा देशों में कारोबार कर रही है । कंपनी का टर्नओवर करीब 29 बिलियन डॉलर है। तो आप जान ही गए होगें की आज हम बात करने वाले हैं कुंवर सचदेवा की। प्रारंभिक जीवन कुंवर सचदेवा का जन्म 1962 में दिल्ली के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके तीन भाई हैं और पिता रेलवे में सेक्शन ऑफिसर थे। उस समय सेक्शन ऑफिसर कोई बड़ी पोस्ट नही हुआ करती थी। इस लिहाज से घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी। यही कारण था कि कुंवर सचदेवा जब पांचवी कक्षा में थे तब उनके पिता ने उन्हें प्राइवेट स्कूल से निकाल कर सरकारी स्क...