विराज बहल देश के जाने-माने उद्यमी हैं, जो शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन में नए जज के रूप में शामिल हुए हैं। जजों के पैनल में अमन गुप्ता, अनुपम मित्तल, नमिता थापर, विनीता सिंह और पीयूष बंसल भी शामिल हैं। विराज की कहानी एक साधारण शुरुआत से लेकर एक बड़े फूड बिजनेस तक पहुंचने की है। उन्हें भारत के एफएमसीजी सेक्टर, विशेष रूप से सॉस बनाने वाली कंपनी वीबा फूड्स (Veeba Foods) के संस्थापक और प्रबंध निदेशक के रूप में जाना जाता है। 2013 में स्थापित वीबा फूड्स आज भारतीय फूड इंडस्ट्री का एक प्रमुख ब्रांड बन चुका है और इसने उद्योग को एक नई दिशा दी है। हालांकि, विराज का सफर कभी आसान नहीं रहा। उन्होंने अपने करियर में कई चुनौतियों का सामना किया, जिनमें शुरुआती असफलताएं और आर्थिक कठिनाइयां शामिल थीं। लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्षशीलता ने उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचाया। आइए, विराज बहल की प्रेरणादायक सफलता की कहानी को और गहराई से समझते हैं।
घर बेचकर नए बिजनेस के लिए जुटाए पैसे
विराज का फूड बिजनेस से जुड़ाव बचपन से ही था। वह अक्सर अपने पिता की फैक्ट्री जाया करते थे, जहां उन्होंने फूड प्रोसेसिंग के शुरुआती पहलुओं को करीब से देखा। उनकी पहली नौकरी आहार दिल्ली ट्रेड फेयर में फन फूड्स के स्टॉल पर थी, जिसने उनके भीतर इस क्षेत्र के प्रति रुचि को और गहरा किया। छोटी उम्र से ही फूड प्रोसेसिंग में रुचि रखने वाले विराज के पिता, राजीव बहल, चाहते थे कि वह पहले खुद को आर्थिक रूप से सक्षम बनाएं। इसी कारण विराज ने मरीन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और एक अच्छी नौकरी हासिल की। हालांकि, एक सफल करियर के बावजूद, उनका दिल हमेशा से परिवार के फूड बिजनेस में लगा रहा।
2002 में अपने पिता की अनुमति के बाद, विराज फन फूड्स में शामिल हो गए। राजीव बहल के नेतृत्व में कंपनी उस समय तेजी से प्रगति कर रही थी, और अगले छह वर्षों में विराज ने फन फूड्स को एक प्रतिष्ठित ब्रांड बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, 2008 में विराज के जीवन में एक बड़ा मोड़ आया, जब उनके पिता ने फन फूड्स को जर्मन कंपनी डॉ. ओटकर को 110 करोड़ रुपये में बेचने का फैसला किया। विराज इस निर्णय के खिलाफ थे, लेकिन कंपनी का सौदा हो गया। यह घटना विराज के लिए न केवल भावनात्मक बल्कि पेशेवर रूप से भी एक बड़ा झटका साबित हुई।
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कुछ ही सालों में जबरदस्त तरक्की
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