यदि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो कोई भी आपके रास्ते में बाधा नहीं बन सकता। जो व्यक्ति हार नहीं मानता और निरंतर प्रयास करता रहता है, उसे सफलता अवश्य मिलती है। इसी का एक प्रेरणादायक उदाहरण देश की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी Sun Pharmaceutical के संस्थापक और प्रबंध निदेशक, दिलीप सांघवी हैं। एक समय ऐसा था जब दिलीप सांघवी दवाइयों के वितरण का कार्य करते थे। वह फार्मा कंपनियों की दवाइयां लेकर इधर-उधर घूमकर बेचते थे। लेकिन एक दिन उनके मन में विचार आया, "यदि मैं दूसरों की बनाई दवाइयां बेच सकता हूं, तो अपनी खुद की दवाइयां क्यों न बनाऊं?"
दिलीप सांघवी का जन्म गुजरात के एक छोटे से शहर, अमरेली में हुआ था। उनका यह निर्णय न केवल उनकी सोच की दिशा बदलने वाला साबित हुआ, बल्कि यह उनकी सफलता की कहानी की नींव भी बना।
शुरुआती जीवन
दिलीप सांघवी के पिता का नाम शांतिलाल सांघवी और माता का नाम कुमुद सांघवी है। उनके पिता कोलकाता में जेनेरिक दवाओं के थोक विक्रेता थे। दिलीप की शुरुआती स्कूली शिक्षा कोलकाता में ही पूरी हुई। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया। दिलीप सांघवी ने अपने करियर की शुरुआत अपने पिता के दवाओं के बिजनेस में काम करके की। इस अनुभव के बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया और कुछ समय तक मनोचिकित्सा से जुड़ी दवाओं की मार्केटिंग का काम किया। इसी दौरान उनके मन में यह विचार आया कि "दूसरों की दवाएं बेचने से बेहतर है कि अपनी दवाएं बनाई जाएं।" यही विचार सन फार्मा की शुरुआत का आधार बना।
१९८२ में सनफार्मा की शुरुआत
दिलीप सांघवी ने अपनी यात्रा की शुरुआत 1982 में की, जब उन्होंने अपने पिता से 2,000 रुपये उधार लिए और अपने दोस्त के साथ मिलकर गुजरात के वापी में सन फार्मा (Sun Pharma) की स्थापना की। कंपनी की शुरुआत में उन्होंने दवाइयों की वेराइटी बढ़ाने के बजाय उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। यह रणनीति सफल साबित हुई, और जल्द ही कंपनी का बाजार में अच्छा प्रदर्शन शुरू हो गया।
15 साल बाद, 1997 में, दिलीप सांघवी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए घाटे में चल रही अमेरिकी कंपनी कारको फार्मा का अधिग्रहण किया, जिससे सन फार्मा ने अमेरिकी बाजार में प्रवेश किया। इसके बाद, 2007 में, उन्होंने इजराइल की कंपनी टारो फार्मा का अधिग्रहण किया, जिससे कंपनी का वैश्विक विस्तार और भी मजबूत हुआ।
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2012 में, दिलीप सांघवी ने सन फार्मा के चेयरमैन और सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन उनकी दूरदृष्टि और शुरुआती रणनीतियों ने कंपनी को वैश्विक फार्मा उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया। खास बात यह है कि उनकी यूनिट ने मनोचिकित्सा से जुड़ी दवाओं के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया, जो एक विशिष्ट और अत्यधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी
सन फार्मा की शुरुआत 1982 में दो कर्मचारियों के साथ हुई थी। लेकिन दिलीप सांघवी की कड़ी मेहनत और लगन ने इसे महज चार साल में पूरे देश में पहचान दिला दी। 1997 में कंपनी ने अमेरिकी कंपनी काराको फार्मा का अधिग्रहण किया, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मजबूत उपस्थिति दर्ज हुई। इसके बाद 2014 में, 25,237 करोड़ रुपये की डील के तहत रैनबैक्सी का अधिग्रहण किया। इस कदम के साथ ही सन फार्मा भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी फार्मा कंपनी बन गई।
दिलीप सांघवी की नेटवर्थ
2014 में सन फार्मा और रैनबैक्सी के बीच हुए इस बड़े करार के बाद कंपनी का कद वैश्विक स्तर पर और भी ऊंचा हो गया। रैनबैक्सी का अधिग्रहण लगभग 19,000 करोड़ रुपये में हुआ था। इस साल के अंत तक दिलीप सांघवी की कुल संपत्ति 17.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई, जिससे वे न केवल भारत के बल्कि दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपतियों में शामिल हो गए।
2016 में भारत सरकार ने दिलीप सांघवी को उनकी उपलब्धियों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया। 2018 में उन्हें आरबीआई के 21 सदस्यीय केंद्रीय बोर्ड में सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। इसके साथ ही, दिलीप आईआईटी बॉम्बे के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा दे रहे हैं।
दिलीप सांघवी आज भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं। युवा उनसे यह सीख रहे हैं कि किस तरह अपनी लगन, कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता से असाधारण सफलता हासिल की जा सकती है।
सन फार्मास्यूटिकल्स ने सामान्य दवाओं के बजाय गंभीर और असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए दवाएं बनाने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। यही रणनीति कंपनी की सफलता की आधारशिला बनी। आज दिलीप सांघवी की कुल संपत्ति 1 लाख 46 हजार करोड़ रुपये है। 2016 में भारत सरकार ने दिलीप सांघवी को उनकी उपलब्धियों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया। 2018 में उन्हें आरबीआई के 21 सदस्यीय केंद्रीय बोर्ड में सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। इसके साथ ही, दिलीप आईआईटी बॉम्बे के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा दे रहे हैं।
दिलीप सांघवी आज भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं। युवा उनसे यह सीख रहे हैं कि किस तरह अपनी लगन, कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता से असाधारण सफलता हासिल की जा सकती है।
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